कैंसर जोखिमों को परास्त करने में योग सहायक

बेख़ौफ़ किरण
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कैंसर एक ऐसा रोग है जिसके बारे में सुनकर ही लोग डर जाते हैं। कैंसर, शरीर के किसी भी हिस्से में कोशिकाओं की अनियंत्रित वृद्धि और असामान्य फैलाव है, जो जीवन के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, हर वर्ष दुनिया भर में लाखों लोग कैंसर से मर जाते हैं। रिपोर्ट में 2000 से 2019 की अवधि में भारत में कैंसर के मामलों में लगभग तीन गुना वृद्धि का आकलन किया गया है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के अनुसार, भारत में हर साल 13 लाख से अधिक लोग कैंसर से पीड़ित होते हैं और यह संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। महिलाओं में स्तन कैंसर और पुरुषों में फेफड़ों का कैंसर सबसे आम है। जीवनशैली में बदलाव और जागरूकता की कमी के कारण कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं।

कैंसर के इलाज में सर्जरी, कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी जैसे कई तरीके शामिल हैं। हालांकि, इन उपचारों के अपने दुष्प्रभाव होते हैं और ये हमेशा सफल नहीं होते हैं। यही कारण है कि कैंसर की रोकथाम और सहायक चिकित्सा के लिए अन्य उपायों की तलाश जारी है। योग एक ऐसा प्राचीन अभ्यास है जो शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है। कई अध्ययनों से पता चला है कि योग कैंसर के जोखिम को कम करने और कैंसर रोगियों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद कर सकता है।

योग तनाव और चिंता को कम करने में मदद करता है, जो कैंसर के विकास और प्रगति में एक महत्वपूर्ण कारक माने जाते हैं। जब हम तनावग्रस्त होते हैं, तो हमारा शरीर कोर्टिसोल जैसे हार्मोन जारी करता है, जो प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर कर सकता है और सूजन को बढ़ावा दे सकता है। योग आसन, प्राणायाम (श्वास व्यायाम) और ध्यान तनाव को कम करने और मन को शांत करने में मदद करते हैं।

कुछ योगासन, जैसे कि सर्वांगासन (शोल्डर स्टैंड) और मत्स्यासन (फिश पोज़), थायरॉयड ग्रंथि को उत्तेजित करते हैं, जो चयापचय को नियंत्रित करती है और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करती है। नियमित योगाभ्यास से शरीर में रक्त परिसंचरण में सुधार होता है, जो कोशिकाओं को ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की आपूर्ति में मदद करता है और विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में सहायता करता है।

अध्ययनों से पता चला है कि योग कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी के दुष्प्रभावों को कम करने में भी मदद कर सकता है, जैसे कि थकान, मतली और दर्द। योग रोगियों को बेहतर नींद लेने, भूख बढ़ाने और ऊर्जा के स्तर को बढ़ाने में मदद कर सकता है। इसके अतिरिक्त, योग कैंसर रोगियों को अपनी बीमारी का सामना करने और सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखने में भावनात्मक समर्थन प्रदान कर सकता है।

हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि योग कैंसर का इलाज नहीं है और इसे पारंपरिक चिकित्सा उपचार के विकल्प के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। योग को कैंसर रोगियों के लिए एक सहायक चिकित्सा के रूप में इस्तेमाल किया जाना चाहिए, जो उनके समग्र स्वास्थ्य और कल्याण में सुधार कर सकता है।

यदि आप कैंसर से जूझ रहे हैं या कैंसर के खतरे को कम करना चाहते हैं, तो एक योग्य योग प्रशिक्षक से मार्गदर्शन लेना महत्वपूर्ण है। वे आपकी विशिष्ट आवश्यकताओं और स्वास्थ्य स्थितियों के अनुसार उपयुक्त योगासन और श्वास व्यायामों का सुझाव दे सकते हैं।

अंत में, योग एक शक्तिशाली उपकरण है जो कैंसर के जोखिमों को कम करने और कैंसर रोगियों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद कर सकता है। इसे अपनी दैनिक दिनचर्या में शामिल करके, आप अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते हैं और कैंसर के खिलाफ अपनी लड़ाई में एक महत्वपूर्ण कदम उठा सकते हैं।

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