गोपाल दास नीरज
आंसू जब सम्मानित होंगे, मुझको याद किया जाएगा
जहां प्रेम का चर्चा होगा, मेरा नाम लिया जाएगा
मान-पत्र मैं नहीं लिख सका, राजभवन के सम्मानों का
मैं तो आशिक़ रहा जन्म से, सुंदरता के दीवानों का
लेकिन था मासूम नहीं ये, केवल इस गलती के कारण
सारी उम्र भटकने वाला, मुझको शाप दिया जाएगा
खिलने को तैयार नहीं थी, तुलसी भी जिनके आंगन में
मैंने भर-भर दिए सितारे, उनके मटमैले दामन में
पीड़ा के संग रस रचाया, आंधी भरी तो झूम के गाया
जैसे भी जो लिखा किसी ने, क्या तरह जिया जाएगा
काजल और कटाक्षों पर तो, रौंद रही थी दुनिया सारी
मैंने किंतु बरसने वाली, आंखों की आरती उतारी
रंग उड़ गए सब सतरंगी, तार-तार हर सांस हो गई
फटा हुआ यह कर्त्ति अब तो, ज्यादा नहीं सिया जाएगा
जब भी कोई सपना टूटा, मेरी आंख वहां बरसी है
तड़पा हूं मैं जब भी कोई, महलों पानी को तरसी है
गीत दर्द का पहला बेटा, दुख है उसका खेल-खिलौना
कविता तब मेरा होगी जब, हंसकर जहर पिया जाएगा